मेक इन नॉर्थ: सम्भावनाएॅं एवं चुनौतियॉं

By Dr. Dhirendranath Mishra

भारत ज्ञान विज्ञान के समन्वय से पूर्ण एक अद्भुत देश है, जिसका प्रत्येक क्षेत्र में अपना वैशिष्ट्य है। आज भारत नित नवीन आविष्कारों और तकनीको को खोजता हुआ दिन प्रति दिन सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, फिर चाहे बात हो तकनीकी के क्षेत्र की या औद्योगिकीकरण की। प्रत्येक क्षेत्र में भारत विश्व के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रहा है।

जब विश्व मन्दी जैसे समस्याओं का सामना कर रहा था, भारत ने अपनी आर्थिक व्यवस्था को स्थिर बनाये रखा। आजादी के बाद से आज तक की अपनी सुधारोत्तर अवधि में देश ने लम्बी विकास यात्रा भारतीय अर्थव्यवस्था निरन्तर विकासशील है। साकार बुनियादी ढॉचे को बेहतर बनाने की जरुरत समझ रही है। किसी देश की अर्थव्यवस्था के विकास का आधार विनिर्माण क्षमता होती है। आर्थिक उन्नति और तेजी से प्रगति कर रही अर्थव्यवस्था के साथ कदम ताल बनाए रखने के लिए यह जरुरी है कि विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाया जाए। विनिर्माण क्षेत्र जहॉ एक ओर अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी है वहीं दूसरी ओर देश में विदेशी मुद्रा के आगमन और रोजगार सृजन में भी सहायक है।

हाल ही में आए केन्द्रीय बजट में विनिर्माण क्ष्ेत्र को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक ‘मेड इन इण्डिया’ से हम सभी परिचित थे, 25 सितम्बर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निवेश को बढ़ावा देकर औद्योगिक विकास की गति को तेज करने तथा देश को ‘मैन्यूफैक्चरिंग हब’ बनाने के उद्देश्य से एक नयी योजना का आरम्भ किया गया- ‘ मेक इन इण्डिया ’ योजना के परिणामों और उसकी विशिष्टता का अन्दाजा अस बात से लगाया जा सकता है कि उसी दिन चीन जैसे देश ने मेक इन चाइना अभियान आरम्भ किया है। इस मिशन द्वारा ग्रामीण भारत का चेहरा तो बदलेगा ही, आने वाले समय में अनेक समस्याओं से मुक्ति भी मिलेगी। ‘मेक इन इण्डिया’ ने ‘‘ सबका साथ, सबका विकास’’ नारे के साथ नया जयघोष किया है।

‘मेक इन इण्डिया’ की शुरुआती सफलता ने कई ऑकड़ों को तोड़ा है, साथ ही भारत के प्रत्येक भाग में इस प्रकार की स्वतन्त्र योजनाओं को प्रेरणा भी दी है। ऐसे में उत्तर भारतीय राज्यों के विकास के परिप्रेक्ष्य में स्थितियों, परिस्थितियों, साधनों और सम्भावनाओं की चर्चा आवश्यक है।

जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों से मिलकर बना उत्तरी क्षेत्र भौगोलिक, प्राकृतिक, ऐतिहासिक तथा पारम्परिक धरोहरों से सम्पन्न है। किसी भी देश के आर्थिक विकास की धुरी को कृषि, उद्योग तथा तृतीयक क्षेत्र की परिधि से ही निर्धारित किया जा सकता है अर्थात् इन उपरोक्त क्षेत्रक का जितना आर्थिक विकास होगा। आर्थिक सशक्तिकरण का आधार उतना ही ज्यादा होगा और परिणामरूवरुप सामाजिक आर्थिक रुपान्तरण को सही कृषि, उद्योग, पर्यटन, शिक्षा आदि के आधार पर उत्तर भारत में ‘मेक इन नॉर्थ’ की सम्भावनाएॅं और चुनौतियॉं के आधार पर निम्न प्रकार हैं।

भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि सदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार रही है। गॉंधी जी ने कहा था- ‘‘समाज की इकाई गॉव है। गॉंव केवल रहने के लिए मानवीय बस्ती भर नही होगा, बल्कि वह उत्पादन की मात्रा और पद्धति तथा अर्थव्यवस्था का आकार भी निर्धारित करेगा।’’

निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था में कृषि की भूमिका से इन्कार नही किया जा सकता है। भारत का मानना है कि कृषि बहुसंख्य भारतीय आबादी को खाद्य और आजीविका सुरक्षा उपलब्ध कराती है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से वस्त्रों के साथ साथ चाय और पटसन निर्यात विदेशी मुद्रा अर्जित करने का मुख्य स्रोत रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2014 के अनुसार देश में 260 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ, जबकि हमारी वार्षिक खाद्यान्न आवश्यकता लगभग 225 मिलियन टन है। सकल कृषि उत्पादन देश की जरुरत से ज्यादा होता है, जियमें उत्तर भारत के राज्यों कर हिस्सेदारी बहुत उत्तर प्रदेश, हरियाण, पंजाब गेहूॅं तथा गन्ना जैसी फसलों के उत्पादन में अपना योगदान देते हैं वहीं दूसरी ओर जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश आदि क्षेत्र बागवानी फसलों का प्रमुख केन्द्र हैं। हिमाचल प्रदेश में कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करती है। इसके अतिरिक्त पुष्पोत्पादन तथा वन सम्पदा में भी उत्तरी क्षेत्र धनी है। जम्मू कश्मीर देवदार, चीड़, केल, फर आदि वनस्पतियों के लिए जाना जाता है। पंजाब ने गेहॅंू उत्पादन में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करके राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण 11 वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण के प्रारुप पत्र में गिरते लाभांश, सिंचाई एवं वाटर शेड विकास आदि में सार्वजनिक निवेश दर बढ़ाने, किसानों को ऋण की अर्पाप्त उपलब्धता तथा सहकारी ऋण प्रणाली को पुनर्गठित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। भारतीय कृषि के समक्ष आई चुनौतियों को कुल मिलाकर उत्पादकता में हृास, पर्यावरणीय अधोगति, फसलों की विविधता में कमी, घरेलू बाजार तथा व्यापार सुधारों जैसे वर्गों में विभाजित किया गया है।

इसके अतिरिक्त कृषि आधारित रोजगारों तथा उत्पादों को प्रोत्साहन देकर कृषि को मजबूती उद्योग के क्षेत्र में कारों, टैक्टरों, मोटरसाइकिलों के निर्माण, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि के निर्माण में उत्तर भारत के क्षेत्रों का प्रमुख स्थान है। विश्व व्यापार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक हरियाणा ही है। पानीपत की हथकरघे से बनी वस्तुएॅ और कालीन उद्योग का वहॉं की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है।

सीमेन्ट उद्योग, कालीन उद्योग, चमड़ा उद्योग, वस्त्र उद्योग आदि क्षेत्रों के साथ साथ अब उत्तर भारत आई टी जैसे तकनीकी क्षेत्र में भी निरन्तर आगे की ओर बढ रहा है।

पर्यटन क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाएॅं हैं। एक अनुमान है कि पर्यटन क्षेत्र में हर 10 लाख रुपये के निवेश पर अमूमन 47.5 प्रत्यक्ष और 90 परोक्ष रोजगार पैदा होते हैं। उत्तर भारत में परम्परा और आधुनिकता का अनोखा समन्वय देखने को मिलता है। उत्तर भारत के र्प्यटन स्थलों में आगरा स्थित ताजमहल का दुनिया के सात आश्चर्यों में पहला स्थान होना स्वयं में एक उपलब्धि है। जामा मस्जिद, सांची का स्तूप, बौद्ध बिहार, राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतें आदि अपनी विशेष स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है।

गंगोत्री, यमुनोत्री, फूलो की घाटी चित्रकूट विंध्याचल नैमिषारण्य आदि धार्मिक पर्यटक स्थलों के रुप में जाने जाते हैं। उत्तर भारत को मेलो और उत्सवों की धरती कहते हैं। यहॉं के मेले जैसे माघ मेला, कुम्भ मेला, बसन्त मेला, पुष्कर मेला, बैसाखी मेला पर्यटकों के बीच कौतूहल का विषय बने रहते हैं। उत्तर भारत सदियों से देश विदेश के पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र रहा है। हरे भरे वन, मीठे झरने, खूबसूरत नयनाभिराम दृश्य पर्यटकों को अपनी ओ आकृष्ट करते हैं। विभिन्न वन्य जीव अभयरण्य और राष्ट्रीय उद्यान भी एसोचैम द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2019 तक पर्यटन क्षेत्र की विकास दर 8.8 प्रतिशत हो जाएगी। इस विकास दर की बदौलत अगले पॉंच वर्षों में भारत पर्यटन क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी ताकत बन जाएगा। ‘अतिथि देवो भवः’ प्रोत्साहन के तहत सामाजिक जागरुकता अभियान को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण पर्यटन स्थलों का सजोने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए 12 वीं पंचवर्षीय योजना में 770 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण पर्यटन के विकास से भारत की शिल्पकला, हस्तकला और संस्कृति तथा परम्पराओं को अभिव्यक्ति का पर्यटन क्षेत्र की एक विशेषता यह है कि यह प्रत्येक के लिए अवसर उपलब्ध कराता है। पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ती सम्भावनाओं को देखते हुए पर्यटन सम्बन्धी विभिन्न पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ किया गया है, जो एक सरहनीय पहल है। पर्यटन क्षेत्र के अन्तर्गत जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है उनमें प्रमुख हैं- ऐतिहासिक इमारतों को उचित संरक्षण प्राप्त न होने के कारण उनका जीर्ण क्षीण होना, पर्यटकों में जानकारी का अभाव तथा साधनों का अभाव उत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति इस क्षेत्र के विकास में बहुत अधिक सहायक है। इस क्षेत्र में नदियों का जाल बिछा हुआ है जिसके कारण यहॉं की पनबिजला क्षमता अत्याधिक है। हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है जहॉं 1970 में ही सभी गॉंवों में बिजली पहुॅंचा दी गयी।

उत्तर भारत सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, पढ़े बेटी, बढ़े बेटी योजना, साक्षरता मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की के पथ पर अग्रसर है।

प्राथमिक माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक , तकनीकी और दूरस्थ शिक्षा के भी र्प्याप्त अवसर यहॉं उपलब्ध हैं। प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों से परिपूर्ण उततर भारत की धरती पर विकास की अनेकानेक सम्भावनाएॅं हैं। सम्पन्न राज्य क्षेत्र होते हुए भी उत्तर भारत अर्थव्यवस्था को वह सशक्तिकरण नहीं दे पा रहा है जितनी कि उसे आवश्यकता है और विश्व पटल पर अपना गौरवपूर्ण स्थान हासिल करने के लिए उसे अभी चुनौतियों को पार करना होगा। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए बड़े पूॅंजी निवेश की आवश्यकता होती है जिसके लिए ऐसी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए जिससे निवेशक उत्तर भारतीय क्षेत्र की ओर और अधिक आकर्षित हो। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के साथ पर्यटन को एक व्यवसाय के रुप में विकसित प्राकृतिक संसाधनों को संवारना होगा। उत्तर के निर्माण के लिए पूंजी, संसाधन के निर्माण की आवश्यकता को समझकर शिक्षा और सेवा क्षेत्र को बेहतर और सुसंगठित ढंग से स्थापित करना होगा। उत्तर भारत को फाइनेंशियल अनटचेबिलिटी से मुक्ति पानी होगी। भारत के निर्माण का सपना तब तक साकार नही हो सकता जब तक उत्तर भारत के निर्माण को सही दिशा नही मिलती। उत्तर भारत अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे पाने में पूर्णतः सक्षम है बस आवश्यकता है सुनियोजित और संगठित कदमों की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.