मूडीज़ का बदला मूड, 13 साल बाद बढ़ाई भारत की रेटिंग

मूड़ीज़ (चित्र)

एनपी न्यूज़ नेट्वर्क । Navpravah.com

आर्थिक मोर्चे पर बहुत अच्छी खबर आयी है, जानी मानी रेटिंग एजेंसी अमेरिका की मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने भारत की सोवरिन रेटिंग ‘बीएए3’ से सुधारकर ‘बीएए2’ कर दी है। साथ ही नजरिया सकारत्मक से स्थिर कर दिया गया है।

अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने आज भारत की सॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया है। एजेंसी ने स्टेबल आउटलुक देते हुए भारत की रेटिंग ‘Baa2’ कर दी है, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करनेवाली रेटिंग्स ‘Baa2’ से बढ़ाकर ‘Baa3’ कर दिया है।

मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद लगातार कोशिश में लगी थी कि किस तरह से रेटिंग में सुधार हो और अब उसके नतीजे सामने आए हैं, रेटिंग में सुधार 13 सालों बाद हुआ है जबकि नजरिये में पहली बार बदलाव 2015 में हुआ था जब इसे नकारात्मक से सकारात्मक किया गया जबकि अब इसे स्थिर कर दिया गया है।

विपक्ष नोटबंदी और जीएसटी के जिन मुद्दों पर मोदी सरकार पर बार-बार निशाना साधती रही है, मूडीज के बयान में उन्हीं की जमकर तारीफ की गई है। इससे मोदी सरकार की बांछें खिल गईं और प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर मूडीज के ताजा फैसले का स्वागत किया।

मूडीज मानती है कि ज्यादात्तर सुधारों का असर देखने में थोड़ा समय लगेगा, नोटबंदी औऱ जीएसटी सुधारों ने थोड़े समय के लिए विकास दर पर असर भी डाला है। कुछ इसी वजह से मूडीज का आंकलन है कि 31 मार्च 2018 को खत्म होन वाले वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.7 फीसदी रह सकती है। लेकिन जैसे-जैसे नये सुधार कार्यक्रमों की शुरुआती दिक्कतें दूर होंगी, उसका असर विकास दर पर देखने को मिलेगा।

छोटे औऱ मझौले उद्योगों के लिए सरकारी मदद और निर्यातकों के लिए जीएसटी के तहत मिलने वाली सुविधाएं भी इसमें मदद करेगी, इन्ही सब की बदौलत 2018-19 में विकास दर 7.5 फीसदी रह सकती है, आगे इसमें और भी तेजी की उम्मीद है, एजेंसी की राय में भारत की विकास संभावनाएं ‘बीएए2’ रेटिंग वाले कई देशें से बेहतर है।

मूडीज ने एक बयान में कहा, मूडीज ने रेटिंग्स अप्रगेड करने का फैसला इस उम्मीद से लिया है कि आर्थिक और सांस्थानिक सुधारों की दिशा में लगातार कदम बढ़ाने से भविष्य में भारत में उच्च वृद्धि की संभावनाएं बढ़ेंगी और सरकारी कर्जों के लिए इसका बड़ा और स्थिर वित्तीय आधार तैयार होगा, इससे मीडियम टर्म में सामान्य सरकारी कर्ज का बोझ धीरे-धीरे कम करने में मदद मिलेगी।

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