नहीं घटीं ब्याज दरें, दूसरी पारी पर राजन ने ली सरकार की चुटकी

शिखा पांडेय,

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने आज जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्‍य नीतिगत दरों को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने की घोषणा की। साथ ही आरबीआई ने अच्छे मानसून के बाद दरें घटाने के संकेत भी दिये हैं।चालू वित्तीय वर्ष में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की दूसरी माैद्रिक से बात चीत की।

उनसे उनकी दूसरी पारी के विषय में पूछे जाने पर राजन ने बहुत शालीनता भरा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह सरकार के फैसले पर निर्भर करता है और जब फैसला होगा तो आपको पता चल जाएगा। मज़ाकिया लहज़े में राजन ने कहा कि मीडिया अभी थोड़ा और मजा ले ले। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल पर मीडिया में जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वे उसका मजा खत्म नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि उनकी दूसरी पारी पर सरकार को निर्णय करना है और प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री इस संबंध में फैसला लेंगे। सुब्रमण्यम स्वामी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पता है कि चिट्ठियां लिखी गयी हैं। देखिए परिणाम क्या निकलता है।

गौरतलब है कि राजन का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है और उनकी दूसरी पारी पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। अपनी दूसरी पारी पर वे पहले कह चुके हैं कि उनसे भी पूछा जाना चाहिए कि आखिर वे क्या चाहते हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि यह प्रशासनिक विषय है और इसमें मीडिया को रुचि नहीं लेनी चाहिए।

राजन ने अपनी दूसरी पारी पर उसी तरह सस्पेंस कायम रखा है, जिस तरह वे अपनी मौद्रिक नीति व फैसलों में सस्पेंस कायम रखते हैं। राजन ने कहा कि बैंकों के लेखे-जोखे को साफ सुथरा बनाने का काम जारी रहेगा, किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।

interest rate

रिजर्व बैंक ने अपनी द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा में आज अपने अल्पकालिक ऋण पर ब्याज (रेपो रेट) को 6.5 प्रतिशत और बैंकों पर लागू आरक्षित-नकदी भंडार की अनिवार्यता चार प्रतिशत पर फिलहाल बरकरार रखा।

राजन ने समीक्षा में कहा है, “मुद्रास्फीति के अप्रैल के आंकड़े अप्रत्याशित रूप से ऊंचे रहने से मुद्रास्फीति की भावी दिशा कुछ और अधिक अनिश्चत हो गयी है।” उन्होंने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन को इस मामले में बड़ा जोखिम बताया है। राजन ने ब्याज कम न करने के औचित्य के बारे में कहा, “अप्रैल की मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद आए आंकड़ों में मुद्रस्फीतिक का दबाव उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ा है। ऐसा कई खाद्य उत्पादों और जिंसों के मूल्यों के बढ़ने से प्रेरित हुआ है जिसका मौसमी उतार चढ़ाव से संबंध नहीं है।”

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